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बालाघाट में बाघ का आतंक : खेत में काम कर रहे किसानों पर जानलेवा हमला

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बालाघाट में बाघ का आतंक बालाघाट जिले में वन्यजीवों का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। रविवार, 09 फरवरी 2025 को दोपहर 12 बजे, गढ़ी थाना क्षेत्र के सिजोरा पंचायत के नुनकटोला गांव में एक बाघ ने दो किसानों पर जानलेवा हमला कर दिया। इस हमले में 50 वर्षीय सुराप सिंह और 55 वर्षीय हरेसिंह मेरावी गंभीर रूप से घायल हो गए। दोनों किसान अपने खेतों में फसल की सिंचाई कर रहे थे, तभी अचानक बाघ ने हमला कर दिया।

घटना का विवरण

बालाघाट में बाघ का आतंक रविवार दोपहर जब किसान अपने खेतों में काम कर रहे थे, तभी पास के जंगल से अचानक एक बाघ निकल आया और सुराप सिंह पर झपट पड़ा। साथी किसान हरेसिंह मेरावी ने जब उसे बचाने का प्रयास किया, तो बाघ ने उन पर भी हमला कर दिया। किसानों की चीख-पुकार सुनकर आसपास के ग्रामीण तुरंत मौके पर पहुंचे। उन्होंने लाठी-डंडों और शोर मचाकर किसी तरह बाघ को वहां से भगाया, जिससे दोनों किसानों की जान बच सकी।

गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती

घटना के बाद ग्रामीणों ने घायलों को तुरंत जिला चिकित्सालय, बालाघाट पहुंचाया। डॉक्टरों के अनुसार, दोनों किसानों को गंभीर चोटें आई हैं और अत्यधिक रक्तस्राव के कारण उनकी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। डॉक्टरों की विशेष टीम उनका इलाज कर रही है।

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गांव में दहशत, वन विभाग सतर्क

इस हमले के बाद नुनकटोला और आसपास के गांवों में डर का माहौल बना हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि बाघ की मौजूदगी की सूचना पहले ही वन विभाग को दी गई थी, लेकिन इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

गांव के लोगों ने बताया कि बाघ को कई बार आबादी के पास घूमते हुए देखा गया था और इसकी सूचना वन विभाग और प्रशासन को दी गई थी। बावजूद इसके, न तो कोई सुरक्षा व्यवस्था की गई और न ही बाघ को पकड़ने के लिए कोई कदम उठाया गया। इसी लापरवाही के कारण आज दो निर्दोष किसानों पर हमला हो गया।

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वन विभाग की कार्रवाई

घटना के बाद वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और बाघ की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए इलाके में गश्त बढ़ा दी गई है। वन अधिकारियों का कहना है कि बाघ को पकड़ने के लिए जल्द ही पिंजरा लगाया जाएगा, ताकि ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

वन्यजीवों के हमले की बढ़ती घटनाएं

बालाघाट और आसपास के जंगलों में वन्यजीवों का खतरा बढ़ता जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि जंगलों में भोजन और पानी की कमी के कारण बाघ और अन्य जंगली जानवर गांवों की ओर आ रहे हैं। प्रशासन ने ग्रामीणों से सतर्क रहने और अकेले खेतों में न जाने की अपील की है।

प्रशासन से सुरक्षा की मांग

गांववालों ने इस घटना के बाद प्रशासन से नाराजगी जताई और मांग की कि वन्यजीवों के हमले से बचाव के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। उन्होंने यह भी मांग की कि घायलों के इलाज के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाए।

बालाघाट जिले में बाघ द्वारा किसानों पर हमला प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है। यदि वन विभाग ने समय पर उचित कार्रवाई की होती, तो यह घटना टल सकती थी। अब जरूरत है कि वन विभाग और प्रशासन इस समस्या को गंभीरता से लें और ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाएं, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

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